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26/11 | Mumbai Attack | Taj Attack | मुंबई अटैक

26/11 | Mumbai Attack | Taj Attack | मुंबई अटैक

26/11 एक ऐसा हमला जो हिंदुस्तान ने इस से पहले कभी नहीं देखाइस हमले से पहले 9/11 अमेरिका मे हुआ फिर मेड्रेट फिर लंदन में हुआ ओर ये सारे हमले बहोत ही बड़े पैमाने पर हुए थे जिसके कारन लोगों मे पहले से ही बहोत ज्यादे दहशत फैला हुआ था, इन सारे हमलों पे पाकिस्तान में बैठे आतंकवादी संगठन नजर गड़ाए बैठे थे, ओर इनकी प्लानिंग इसी तरह का हमला हिंदुस्तान में करने का था खाश करके लसकर-ए-तईबा जिसका सरगना हाफिज़ सईद जो हिंदुस्तान का बहोत बड़ा दुश्मन थातो ये लोग प्लान कर रहे थे 1993 मुंबई हमले के बाद मुंबई पे बहोत सारे आंतकी हमले हुए ओर मुंबई को निसाना बनाने की एक बड़ी वजह यह होती की मुंबई हिंदुस्तान का आर्थिक राजधानी है बॉलीवूड भी वहीं है तो मुंबई पर जब हमला होता है तो उसका असर ज्यादा होता है इसीलिए मुंबई को चुना गया, लस्कर के कुछ कमांडर को ब्लू प्रिंट तैयार करने का काम सोपा गया, हमला कैसा होगा कैसे होगा ओर बाँकी की योजना क्यूकी ये पहले ही ट्रेन ओर गाड़ियों में धमाका कर चुके थे, इन लोगों ने एक प्लैन बनाया ओर इस प्लान की शुरुआत 2006 में हुई थी, डेविड हेडली ये लस्कर के लिए काम करता था, 

26/11 | Mumbai Attack | Taj Attack | मुंबई अटैक
26/11 | Mumbai Attack | Taj Attack | मुंबई अटैक

26/11 | Mumbai Attack | Taj Attack | मुंबई अटैक

खबर ये भी थी की ये पाकिस्तानी खुफ़िया एजन्सि ISI के लिए भी काम करता था जो अमेरिका के जेल में इस वक़्त बंद है, ये मुंबई अक्सर आता जाता था ओर लस्कर ने इसे मुंबई की रेकी के लिए कई बार भेजा, ये मुंबई में आके रास्ते, खाश खाश बिल्डिंग, होटेल्स ओर बाँकी खाश चीजों की रेकी करता था, इसने Hotel Taj की भी अच्छे से रेकी किया था Taj Hotel के फ़्लोर, कमरे, एंट्री-एक्ज़िट, सिक्योरिटी ओर सारा नक्सा इन्हें पता था, डेविड हेडली पहला सक्स था जिनहोने लस्कर को मुंबई के नक्शे, ताज-ओबेराय-कैफे-सड़कों की पूरी जानकारी दी, अब इन जानकारी के बाद अब था की मुंबई तक आतंकवादियों को पहुँचाया कैसे जाए, अगर बड़े पैमाने पर हमला करना है तो पाकिस्तान से हिंदुस्तान में घुसना मुसकिल है, कश्मीर के रास्ते भी आ नहीं सकते, अगर किसी तरह आ भी गए तो इतने अधिक मात्रा में हथियार भारत कैसे लाया जाए, हवाई रास्ते से भी संभव नहीं था तब एक आखरी रास्ता था समंदर का रास्ता, समंदर के रास्ते का पूरी रेकी करी जाती है पूरी प्लेनिंग होती है ओर प्लानिंग इस तरीके से की जाती है की समंदर के रास्ते सारे आतंकी हथियार के साथ जाएंगे ताकि मुंबई में किसी से हथियार लेना ना पड़े ओर मुंबई में एक ऐसी जगह एंट्री करें जहाँ से बिना किसी चेकिंग के शहर में आसानी से घुश सके, इन सारी चीजों को चेक की गई ओर आख़री फैसला ये हुआ की इन सारी प्लेनिंग के तहत समुंदर का रास्ता ही मुंबई में घुशने के लिए सुरक्षित है ओर इसी रास्ते से मुंबई में घुशा जाए, समंदर का रास्ता चुनने का एक कारन ये भी था की 1993 में मुंबई में जब सिरियल ब्लास्ट हुआ था तो RDX समंदर के रास्ते ही बड़ी आसानी से मुंबई लाया गया था कस्टम ओर बाँकी लोगो के साथ भी मिली भगत थी, समंदर के रास्ते इतनी निगरानी भी नहीं होती थीसमंदर का रास्ता फ़ाइनल होने के बाद लस्कर सरगना हाफिज़ सईद ने लड़कों को ट्रेंड करने के लिए उन्हें मुंबई तक पहुंचाने के लिए ओर हमले के दौरान भी उनसे संपर्क में रहने के लिए अपने 4 खाश लोगों को काम सोंपा जिसमें पहला सक्स था जकुइर रहमान लखवि दूसरा जर्रार साह तीसरा अबू काफ़ा ओर चौथा अबू हमजा ये 4 लोग लस्कर की तरफ से 26/11 के पूरी सजिस के सूत्रधार होते हैंमुंबई अटैक 2008 में होता है लेकिन शाजिश करीब 2 साल पहले से ही रचा जा रहा था पाकिस्तान के करीब 32 शहरों से कुल 32 लड़कों को चुना गया ओर चुनने का तरीका इनका बिलकुल अलग था, ये गरीब घर के 18-22 साल के लड़के को ये चुनते जो घर से या तो भाग चुके थे या किसी कारन बस घर से निकाल दिए गए हो बिलकुल पढे लिखे ना हो घर के संपर्क में ना हो, शादी जिसकी ना हुई हो ओर थोड़ा सरारती तरीके का हो ताकि इनका माइंड वॉश अच्छे से हो सकेजब 32 लड़के चुने गए तो इन सब लड़कों को ये बताया गया की तुम कश्मीर के सिपाही हो, अल्लाहा ने तुम्हें कश्मीर की आज़ादी के लिए इतने नेक काम के लिए चुना है तुम्हें जन्नत नसीब होगी, ऐसा मोका अल्लाहा केवल अपने सबसे नेक बंदे को ही देता है, इस तरीके से इनका माइंड वॉश किया गया ओर इन लोगों को केवल ये पता था की ये कश्मीर के सिपाही हैं ओर इन्हें कश्मीर की आज़ादी के लिए लड़ना हैओर पूरी ट्रेनिंग के बाद इन 32 में से 10 सबसे होनहार को मुंबई अटैक के लिए चुना जाता है इन 10 के नाम थे (i) अब्दुल रहमान उर्फ बड़ा (ii) अब्दुल रहमान उर्फ छोटा (iii) बाबर इमरान ये तीनों पाकिस्तान के मूलतान के रहने वाले थे (iv) जावेद उर्फ अबू अली (v) अबू फ़हात ये दोनों पंजाब के ओकरा जिले के थे (vi) नजीर उर्फ ऊबेद (vii) नासिर उर्फ अबू उमर ये फैसला बाद के रहने वाले थे (viii) अबू सोएब (ix) अबू मुजाहिद सियाल कोट से ये दोनों चुने जाते हैं ओर दसवां वो नाम है जो हिंदुस्तान के घर घर में जाना जाता है (x) फरीदकोट का रहने वाला अजमल कसाब जो एक लोता जिंदा आतंकवादी पकड़ा गया था ये सारे अपने घरों के नालायक लड़के थे सारे घर से भागे लड़के थे सारे किसी ना किसी क्राइम में एक्टिव थे सब के सब अनपढ़ थे सारे कुवारें थे, इन सब की ट्रेनिंग 3 चरणों में पाक अधिकृत कश्मीर में हुई, 21 दिनों की पहली ट्रेनिंग में इन्हें exercise कारवाई गई, 21 दिनों की दूसरी ट्रेनिंग में हथियार चलाने की ट्रिनिंग दी गई ओर तीसरी ट्रेनिंग भी 21 दिनों की होती है ओर इसमें भी बड़े बड़े हथियार हैंड ग्रइनेड AK47 की ट्रेनिंग दी गई, ओर हर ट्रेनिंग के बाद इन्हें छुट्टी दी गई लेकिन लस्कर के निगरानी में थे ये लोग, ट्रेनिंग के बाद इनमें से केवल 10 को चुना गया ओर इन सब को अभी तक इतना ही पता था की ये लोग कश्मीर के सिपाही हैं

26/11 | Mumbai Attack | Taj Attack | मुंबई अटैक

पहली बार सेप्टेम्बर 2008 में इन्हे बताया गया इनलोगों को कश्मीर नहीं बल्कि मुंबई जाना है लेकिन अभी भी ये नहीं बताया गया की मुंबई जा के करना क्या है, 26/11 जो हमला हुआ मुंबई में इसकी तारीख पहले 26 नवम्बर नहीं बल्कि 27 सेप्टेम्बर थी क्यूकी इस से पहले भी दिवाली के टाइम में कई बार छोटे मोटे हमले हिंदुस्तान में हो चुके थे, तो पूरी तैयारी कर ली गई थी 27 Sep की जिसके लिए इन्हें 23 Sep को पाकिस्तान से निकालना था ठीक समुद्र के रास्ते, लेकिन उसी बीच भारत में कुछ ब्लास्ट में इंडियन मुजाहिदीन का नाम आया था जिसके कारन जगह जगह नाका बंदी ओर दविश डाली जा रही थी ओर उस वक़्त मुंबई, गुजरात, दिल्ली, यूपी सारे हाइ अलर्ट पे थी तो इन्हें लगा इस वक़्त शायद इनका मिशन सक्सेस नहीं होगा क्यूकी पुलिस पहले से ही वहाँ अलर्ट है इसलिए तारीख को टाल दिया गया ओर अपने सारे आतंकवादियों को कुछ दिनों की छुट्टी दे दी, इसी बीच 3 दिनों के लिए अजमल कसाब अपने घर फ़रीदकोट गया था ओर अपनी माँ को बोला था की वो मुजाहिदीन बन गया है उसकी माँ ने उसे रोका भी था लेकिन उसने माना नहीं ओर दुबारा वो कैंप में आता है ओर वहीं रहता है फिर इन सब को कारांची में समंदर किनारे एक नई ट्रेनिंग दी जाती है जिसमें स्विमिंग, बोट चलाना, पानी का जहाज़ चलाने की ट्रेनिंग दी जाती है इन ट्रेनिंग में पाकिस्तानी आर्मी के कुछ अफसर भी मौजूद थे, इन्हें मुंबई के भाषा की ट्रेनिंग भी दी गई मुंबई में बात कैसे करना है, मुंबई के शहरों का नाम, मुंबई की फिल्में दिखाई गई, उस वक़्त मुंबई में 20-22 साल के लड़के कैसे कपड़े पहनते थे वो भी ट्रेनिंग दी गई, सारे फिल्म स्टार के नाम भी बताए गए, अब सारी ट्रेनिंग पूरी हो चुकी थी, 22 Nov की रात जकेउर रहमान लखवि वहाँ पहुँचता है ओर इन सबको तैयार करवाके कारांची के बन्दरगाह ले जाता है, एक सुनसान सा बन्दरगाह था, 23 Nov के शुबह 4 बजे ये लोग बन्दरगाह पर पहूँचते हैं ओर एक छोटे जहाज पे इन सब को बैठाते हैं ओर तमाम दुवाओं के साथ गले मिलते हैं ओर इन्हें रवाना कर देते हैं, समंदर में कुछ दूर जाने के बाद इन्हें एक बड़ा जहाज मिलता हैं इन सब को उस बड़े जहाज में शिफ्ट कर दिया जाता है, कुछ ओर दूर जाने के बाद अब इन्हें इस से भी बड़ा एक जहाज मिलता है ये सारे फिर उस बड़े जहाज में सिफ्ट कर दिए जाते हैं 1 घंटे ओर सफर करने के बाद तीसरा उस से बड़ा जहाज जिसका नाम था अलहुसैनी इन्हें मिलता है ओर ये सारे अलहुसैनी में सिफ्ट हो जाते हैं, अभी तक ये पाकिस्तान के सीमा में ही थे, अलहुसैनी में इन सबको 2-2 बैग दिया जाता है ओर इन्हीं बैग में सारे हथियार मोजूद होते हैं, अलहुसैनी अब धीरे धीरे भारतीय सीमा में दाखिल हो जाती है कुछ देर के सफर के बाद इन्हें भारतीय सीमा में एक जहाज दिखाई देता है जो जहाज बहोत छोटा था उस जहाज का नाम था कुबेर वो इंडियन फिशरमेन का जहाज था उस जहाज को चला रहा था अमर सिंह चंदेल अलहुसैनी जहाज कुबेर के नजदीक आता है ओर उन मे से कुछ लोग रास्ता भटकने का बहाना बनाते हुए बातें करते है ओर कुबेर जहाज पे आ जाते हैं कुबेर में कुल 5 लोग थे इन लोगों ने 5 मे से 4 को किसी बहाने अलहुसैनी में सिफ्ट कर देते हैं ओर उन्हें मार दिया जाता है, अमर सिंह चंदेल को कुबेर पे ही रहने देते हैं

 अमर सिंह चंदेल कुछ दिन पहले रास्ता भटकते हुए पाकिस्तान की सीमा में आ जाता है जिसे पकड़ लिया जाता है ओर ये 6 महीने पाकिस्तानी जेल में भी रहता है ओर फिर इसे छोड़ दिया जाता है, कहते हैं शायद अमर सिंह को छोड़ना भी साजिश का एक हिस्सा था, शायद अमर सिंह से उन लोगों को ये पता चल गया हो की अमर सिंह कब कब इस रास्ते आता है ओर उसी तरीके से इस तारीख को चुना गया हो की रास्ते में कुबेर जहाज मिलेगा ओर ये लोग अमर सिंह को बंदी बना कर जहाज पर कब्जा कर सकेंगे, ये एक शाजिश का हिस्सा हो सकता था

26/11 | Mumbai Attack | Taj Attack | मुंबई अटैक

अब धीरे धीरे सारे आतंकवादी कुबेर में शिफ्ट हो जाते हैं, अलहुसैनी पाकिस्तान की तरफ़ ओर कुबेर पोरबंदर गुजरात के रास्ते मुंबई की तरफ़ बढ़ने लगता है, रास्ते में कुछ चेक पोस्ट ओर पुलिस भी मिले लेकिन कुबेर ऑर अमर सिंह को सब जानते थे तो कुबेर को बिना चेक किये पुलिस ने आगे बढ़ने दिया, अब अमर सिंह भी समझ चुका होता है की वो फस चुका है लेकिन हथियार के नोक पे वो कुछ कर भी नहीं सकता, आतंकवादियों की भी ये मजबूरी वो अमर सिंह को अभी मार भी नहीं सकते है लेकिन जब इन्हें लगता है की अब मुंबई नजदीक है ऑर रास्ते में बहोत सारे बोट ऑर जहाज भी दिख रहा है तो कहीं अमर सिंह चिल्ला ना दे तो उसी कुबेर जहाज में ये अमर सिंह को मार देते हैं ऑर ये सारे अब स्पीड बोट में सिफ्ट हो जाते हैं ऑर तेजी से बढ़ते हुए कुलावा के मच्छी बाजार के पास ये अपना बोट रोकते हैं, तब रात के 9 बज रहे थे, मुंबई के सारे रईसी इलाका इसी के इर्द गिर्द

जब 1993 सिरियल ब्लास्ट मुंबई में हुआ ऑर ये पता चला की RDX समुद्री इलाके से लाया गया तो कई दिनो तक हाइ लेवल मीटिंग हुए ऑर पेट्रोलिंग निगरानी रखने के लिए कई टीम बनाई गई ऑर 1994 में ऑपरेशन SWAN का भी गठन हुआ जिसके अंतर्गत समुद्री इलाक़े का पूरी बारीकी से निगरानी की जाएगी लेकिन बिना की वजह दिए SWAN को 2006 में मुंबई अटैक से केवल 2 साल पहले खतम कर दिया गया अगर SWAN खतम नहीं होता तो शायद 26/11 नहीं होता, ऑर जब SWAN को भंग करने का कारन पूछा गया तो कारन केवल इतना बताया गया की 1994 से 2006 तक कभी कोई ऐसा संदिग्ध नहीं पकड़ा गया ऑर SWAN बिना मतलब का है ऑर बेकार का इसके पीछे इतनी मेहनत ऑर खर्चे हो रहे हैं, 2006 में ऑपरेशन SWAN खतम कर लिया गया जिस ऑपरेशन के तहत मुंबई के सारे बन्दरगाहों की निगरानी की जाती थी, कोई संदिग्ध सुमद्री रास्ते से मुंबई घुश नहीं सकता था ऑर ठीक 2 साल बाद 2008 में 10 आतंकवादी बिना किसी रोक टोक के मुंबई पर सबसे बड़ा हमला करता है, ये जब 26 Nov रात 9 बजे मच्छी बाजार में बोट से उतरते हैं ऑर सब के पास 2 बैग एक आगे ऑर एक पीछे जिसमे हथियार थे सब के सब जीन्स टी-शर्ट बहोत घबराए हुए बहोत तेजी में ये बाहर निकलते हैं तो कुछ लोगों को सक होता है ऑर वो 100 न॰ पर फोन भी करते हैं लेकिन पुलिस ने उस फोन को नज़रअंदाज़ कर दिया अगर उस वक़्त उस फोन को सिरियस लिया होता तो शायद हमले को रोका जा सकता था

ये 10 मच्छी बाजार से बाहर निकलते हैं ऑर पहले से निर्धारित प्लान के तहत 2-2 के ग्रुप में बट जाते हैं ऑर सभी अलग अलग टॅक्सी लेते हैं, इन लोगो को पहले से बताया गया था किसे कहाँ कहाँ हमला करना हैइनमे से 2 आतंकी सोएब ऑर नासिर कोलाबा की सड़कों पे टॅक्सी से उतरते हैं ऑर अंधाधुंद गोलियां चलाने लगते हैं ऑर वहीं कोलाबा में एक कैफ़े है इस कैफ़े में विदेशी ज्यादा आते हैं ये सड़क पर गोली चलाते हुए कैफ़े में घुसते हैं ऑर कैफ़े में भी अंधाधुंद गोलियां चलाते हैं फिर ये बाहर निकलते हैं ऑर पास ही नरीमन हाउस है इसी बीच कोलाबा से पुलिस को इन्फॉर्म किया जाता है, जिस तरफ़ सड़क ऑर फिर कैफ़े में गोली मारी गई पुलिस को लगता है ये गैंगवार है क्यूकी पहले उंडरवर्ल्ड के टाइम में इस तरह की घटना मुंबई में आम थी, इसी बीच CST Railway Station पे दो आतंकवादियों अंधाधुंद  गोलीबारी करते हैं चारों तरफ़ अफरा तफरी मच जाती है आने वाले ट्रेनों को रोक दिया जाता है ताकि कम से कम नुकसान हो कुछ पुलिस वाले भी वहाँ होते हैं लेकिन एके47 का सामना वो कर नहीं पाते कुछ लोगों का कहना था कसाब जब CST में गोली चला रहा था तो लगातार हंस रहा था ऐसा मानो जैसे विडियो गेम खेल रहा हो, आपने AK47 के साथ कसाब की फोटो भी देखी होगी वो फोटो CST की ही है, जब तक लोगों को समझ आता तब तक 58 लोगों की जाने जा चुकी थी CST परCST स्टेशन पर गोली बारी करने के बाद कसाब आपने एक साथी के साथ बाहर निकलते हैं ओर पास की एक संकरी गली में घुश जाते हैं उस गली में एक पुलिस स्टेशन भी होता है लेकिन पुलिस वालों के पास इनसे सामना करने वाली आधुनिक हथियार ना होने के कारन पुलिस स्टेशन की बत्ती बुझा दी जाती है ताकि आतंकवादियों से उनकी जान बच सकेअब तक भी पुलिस वालों को यही लग रहा था की ये गेंगवॉर है अंडरवर्ल्ड की आपसी लड़ाई है इसलिए अभी तक पुलिस इतनी टेंशन में आई नहीं थी, थोड़ी देर बाद मरीन ड्राइव पे टॅक्सी से दो लोग उतरते हैं ओर गोली चलाते हुए ओबेरॉय होटल घुश जाते हैं, अब ये तीसरी फोन कॉल कंट्रोल रूम को जाती है तीसरी कॉल पे पुलिस सोचना शुरू करती है की ये गैंगवॉर है या कुछ ओर लेकिन अब भी वो क्लियर नहीं थे, इतनी देर में अचानक ताज से ख़बर आती है ताज में कुल 4 आतंकवादी गोली चलाते हुए अंदर घुश जाते हैं, ताज से ख़बर आने के बाद पुलिस को लगा की ये कुछ गड़बड़ है, इसी बीच कसाब ओर उसके साथी रास्ता भटकते हैं ओर आगे बढ़ते ही उन्हें एक हॉस्पिटल दिखाई देता है कामा हॉस्पिटल लेकिन तब तक लगभग लोगों को गोली बारी की ख़बर मिल चुकी थी ओर कामा हॉस्पिटल में भी ये ख़बर मिल चुकी थी, हॉस्पिटल की बत्ती तुरंत बुझाई जाती है ओर सारे डॉक्टर, स्टाफ़ ओर मरीज एक दूसरे की मदद करते हुए छिप जाते हैं, हॉस्पिटल में ज्यादे नुकसान होता नहीं है क्यूकी हॉस्पिटल इनके लिस्ट में था ही नहीं ये लोग गलती से रास्ता भटकते हुए हॉस्पिटल पहुँचते हैं, अब इनलोगों को कुछ समझ नहीं आता है ओर ये लोग कामा हॉस्पिटल से गोली चलाते हुए वापस आने लगते हैं, तभी इन्हें रास्ते में पुलिस की जीपसी दिखाई देता है ओर ये लोग जीपसी पे फ़ाइरिंग कर देते हैं, उस जीपसी में ATS चीफ़ हेमेंत करकरे, इङ्कौंटर स्पेकीलिस्ट विजय सालस्कर, कामात साहब ओर एक ओर ऑफिसर होते हैं, जब कसाब ओर उसके साथी AK47 से जीपसी पे अंधाधुंद गोलियां चलाते है तो जबाब में इधर से भी गोली चलती है लेकिन अफसोस ये सारे मुंबई पुलिस के मोस्ट सेनीयर्स ऑफिसर एक साथ शहीद हो जाते हैं ओर ये आतंकवादी उन्हीं के जीपसी पे कब्जा कर आगे बढ़ने लगते हैं, फिर लोगों ने कुछ देर बाद देखा पुलिस की जीपसी से मुंबई के सड़कों पे गोली बारी हो रही है लेकिन किसी को ये नहीं पता था पुलिस की जीपसी में आतंकवादी है, जब तक लोगों को समझ आया तब तक यहाँ भी कई जाने जा चुकी होती है, इसी बीच ख़बर आती है की विलय पार्ले में एक टॅक्सी में ब्लास्ट हो जाता है जो वेस्टर्न एक्सप्रेस हाइवे की तरफ जा रही थी, उस टॅक्सी में 4 लोग बैठे थे ओर 1 ड्राईवर इन पाँचों की मौत हो जाती है, थोड़ी देर बाद ख़बर आती है मडगाओं में एक टॅक्सी में ब्लास्ट हो गयी जिसमें 3 लोगों की मौत हो गई, इन लोगों ने कुलावा से जो अलग अलग 5 टॅक्सी ली थी उसमें से 2 में इनलोगों ने उतरते समय बम छिपा दिया था

26/11 | Mumbai Attack | Taj Attack | मुंबई अटैक

इसी बीच कसाब ओर उसके साथी जीपसी से मेट्रो सिनेमा के पास पहुँचते हैं ओर मेट्रो सिनेमा के पास अंधाधुंद गोलियां चलाते हैं यहाँ करीब 10 लोगों की मौत होती है, फिर विधान भवन के पास से गुजरते हुए फाइरिंग करते हैं ओर यहाँ 9 लोगों की मौत होती है इसी बीच जीपसी का टायर पंचर हो जाता है ओर वहीं से गुजर रहें एक स्कोडा गाड़ी को ये लोग कैप्चर कर लेते हैं जिस गाड़ी में 3 महिलाएं थी इतने देर में यहाँ एक अच्छी बात ये थी की स्कोडा में सवार 3 महिलाओं को ये गोली नहीं मारते उनसे गाड़ी लेके उन्हें जाने देते हैं, इसी बीच अगर 2 टॅक्सी ब्लास्ट को छोड़ दिया जाए तो बाँकी के 8-10 हमले जो हुए वो 4-5 की॰मी॰ के अंदर ही हुए तो पुलिस ने इन 5 की॰मी॰ में पूरी नाके बंदी कर दी पुलिस हैड क्वार्टर भी यहीं है ATS ऑफिस भी इसी एरिया में है, इसी बीच गेरगाव चोपाटी के पास स्कोड गाड़ी पुलिस बेरगेड को तोड़ने की कोसिस करता है लेकिन नाकाम रहता है यहाँ भी दोनों तरफ से गोली बड़ी होती है जिसमें कसाब का साथी मारा जाता है, गोली कसाब को भी लगती है लेकिन उसके हाथ ओर पैर में लगती है ओर वो जिंदा होता है, अब वहाँ खड़े पुलिस वाले कसाब को मरा समझ बाहर निकालने की कोशिश करते हैं लेकिन लेकिन कसाब ने AK47 से एक बार फिर अंधाधुंद गोलियां चलाई जिसमें सिपाही तुकाराम शहीद हो गए, तुकाराम आपने सिने ओर पेट पे 23 गोलियां खाने के बाद भी कसाब को स्कोडा से खीच के बाहर निकाले ओर आपने साथियों के हवाले किया ओर फिर खुद गिर गए, कहते हैं अगर तुकाराम ने वो 23 गोलियां आपने सिने पे नहीं खाई होती तो शायद वहाँ खड़े सारे पुलिस वाले शहीद हो जाते, इस तरह कसाब एक जिंदा आतंकवादी था जो पकड़ा गया

कसाब को पकड़ने के बाद अब पहली बार सड़कों पर गोली बारी बंद हो गई, कसाब को पकड़ने के बाद अब पुलिस का पूरा फोकस चला गया तीन जगहों पर ताज होटल, ओबेरॉय होटल ओर नरीमन हाउस पर लेकिन किसी को ये नही पता था आतंकवादी कितने हैं कहाँ कहाँ है, इसी बीच ताज होटल के गुंबद में धमाका होता है, हैंड ग्रेनेड फेके गए, गोलियों की आवाज लगातार तीनों जगहों से आ रही थी, अब करीब 3 घंटे हो चुके थे ओर तीन घंटे बाद महाराष्ट्र सरकार जागी ओर उन्हें अब लगा की ये कोई गैंगवॉर नहीं है ये आतंकी हमला है ओर अब महाराष्ट्र के मरीन कमांडर से पहली बार मदद मांगीं जाती है ओर फिर दिल्ली फोन किया जाता है ओर सेंटर से मदद मांगी जाती है दिल्ली से तुरंत NSG कमांडर को तैयार किया जाता है लेकिन कमांडर को जिस एयरक्राफ्ट से भेजा जाना था वो दिल्ली में था ही नहीं वो उस वक़्त चंडीगढ़ में था, दिल्ली में जो एयरक्राफ्ट था वो छोटा था जिसमे मात्र 120 कमांडर ही भेजे जा सकते थे, लेकिन भेजना था 360 क्यूकी ऑपरेशन अलग अलग जगहों पर करनी थी, फिर भी किसी तरह इस छोटे एयरक्राफ्ट को रेफ़्युलिंग किया गया कमांडर को मानेसर से दिल्ली लाया गया ओर 120 कमांडर को इस एयरक्राफ्ट से मुंबई भेजा गया, इस पूरी तैयारी मे 3 से 4 घंटे लग गए ओर एयरक्राफ्ट को दिल्ली से मुंबई की दूरी तय करने में भी करीब 3 घंटे लगे, मतलब हमले के 8-9 घंटे बाद कमांडर उस जगह पहुँच पाते हैं, ओर सोने पे सुहागा हमारी मीडिया-न्यूज़ चेनल ने कर दिया, पाकिस्तान में बैठे इनके आक़ा लगातार इनसे टच में थे ओर दूसरी तरफ ये भारतीय न्यूज़ चेनल भी देख देख के उन्हें बता रहे थे की कमांडर के पहुँचने में कितना वक़्त है ओर पुलिस अभी क्या हरकत कर रही है, कितने पुलिस हैं, पुलिस कहाँ कहाँ खड़ी है, मुंबई पुलिस के पास हथियार नहीं है, ये सारी सूचना TV पर Live चल रही थी ओर ये सारी जानकारी उन्हें हमारे न्यूज़ चेनल के मारफ़त पता चल रहा था, उस वक़्त मीडिया को भी इस बात का एहसास नहीं था की इस Live का अंजाम क्या होगा

27 Nov को NSG कमांडर ताज, ओबेरॉय, नरेमन हाउस पहुँच तो गए लेकिन इन कमांडो को होटल के अंदर के मैप के बारे में कोई जानकारी नही थी, ये जानकारी जुटाने में भी खाफी वक़्त बरबाद हुआ, जबकि ताज के बारे में इससे ज्यादे जानकारी ताज में घुसे 4 आतंकी लेके आए थे, ओर तो ओर ATS की टीम सेर्वीलान्स के जरिये इनकी सारी बाते सुन रही थी ओर रीकॉर्ड भी कर रही थी जिसमें, कारांची में बैठे इनके आका इन्हें ऑर्डर दे रहे थे, किस सोफ़े मे आग लगानी है, किस तरफ हैंडग्रानेड फेकनी है, कितने होस्टेज को कब मारना है, किस तरफ गोली चलाना है लेकिन आपसी कम्युनिकेशन गैप के कारण उस वक़्त भी Live रोका नहीं गया, ATS जो बातें रिकॉर्ड कर रही थी वो सारी बातें कमांडो को भी बहोत देर से बताई गई, अगर ये ख़बर कमांडो को पहले दी जाती तो शायद कुछ जाने ओर बचाई जा सकती थी ओर Live भी रोका जा सकता था

कम्युनिकेशन गैप ओर बाँकी लापरवाही के कारण 59 घंटे लगे इस ऑपरेशन को सफल बनाने में ओर उन आतंकवादियों पर काबू पाने में जिस कारण तबाही ज्यादे हुई कुल 166 लोग मारे गए ताज मे 31 लोगों की जाने गई, उस दिन ताज के 1000 कमरे में 95% बूक थे जिस कारण भीड़ भी कुछ ज्यादे थी, नरीमन हाउस में 7 मारे गए, ओबेराय में 30 लोग मारे गएओर इस तरह करीब 59 घंटे बाद NSG के तरफ से मुंबई को सेफ बताया गया

26/11 | Mumbai Attack | Taj Attack | मुंबई अटैक

अजमल कसाब एक जिंदा आतंकवादी पकड़ा गया उस वक़्त लोगों ओर पुलिस में इतना गुस्सा था की सब कसाब को मार डालना चाहते थे लेकिन अकलमनदी दिखाई गई ओर उसे पाकिस्तान के खिलाफ शबुत के कारण जिंदा रखा गया क्यूकी पाकिस्तान कभी मानता नहीं है की उसने कभी कुछ गलत किया, इस हमले में सारे सबूत ये बता रहे थे की ये सारे आतंकी पाकिस्तानी थे ओर पाकिस्तान ने ही मुंबई अटैक करवाए हैं, इनके पास मिले पेस्टल पाकिस्तानी, कुबेर मे एक उर्दू डाइरी मिला जिसमें सारे आतंकी के नाम लिखे थे, कुबेर में डीजल का टेंक मिला जिसमें कारांची का एड्रैस था, इनके कपड़े पर पाकिस्तानी टेलर के लेबल थे ओर सबसे बड़ा सबूत इनके पास नोकिया के 1200 नो॰ 5 मोबाइल फोन मिले जिस फोन पे हमले के दोरान कुल 40 कॉल आए ओर सारे पाकिस्तान के कॉल थे ओर हर कॉल की डिटेल्स थी

आतंकियों पर बहोत जल्द काबू पाया जा सकता था अगर मुंबई के आस पास NSG कमांडो का कोई सेंटर होता लेकिन, NSG सेंटर मनेसार में था जो दिल्ली के करीब है, लेकिन दिल्ली ख़बर लेट पहुंची, एयरक्राफ्ट का मर्चेंट उस वक़्त ड्यूटि पे नहीं था, उस वक़्त एयरक्राफ्ट सेंटर पर मोजूद नहीं था, बहोत सारी लापरवाही भी हुई, इसके बाद ये बातें चल रही थी मुंबई के पास NSG सेंटर बनाई जाए, ओर NSG कमांडर के पास सारी सुबिधा चोबीसों घंटे उपलब्ध हों

तो ये थी हिंदुस्तान पर अब तक की सबसे बड़ी आतंकी हमले की अफसोसनाक कहानी 

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